सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक कलह के एक मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि दोनों पक्ष के लोगों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह उनकी समझ से परे है कि ऑनलाइन पेशी का विकल्प उन्हें क्यों नहीं दिया गया।हाई कोर्ट के समक्ष प्रथम दृष्टया विवाद ऐसा नहीं था कि दोनों लोगों को व्यक्तिगत रूप से बुलाना जरूरी हो। खासकर तब जब उनमें से एक व्यक्ति गंभीर बीमारी के बावजूद मुंबई से यात्रा करके आता है।जस्टिस दिपांकर दत्ता और सतीश चंद्र की अवकाशकालीन पीठ ने 20 मई के अपने फैसले में कहा कि अगर हाई कोर्ट को लगा कि दोनों पक्ष बातचीत के लिए फिट हैं और उन्हें आमने-सामने लाकर दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया जा सकता है, तो इस प्रक्रिया को वर्चुअल मोड में भी पूरा किया जा सकता है।विज्ञान और तकनीक की उपलब्धियों के चलते सुनवाई के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया का सहारा क्यों नहीं लिया गया। उल्लेखनीय है कि खंडपीठ हाई कोर्ट के 14 मई के एक आदेश के खिलाफ सुनवाई कर रही है।