गणतंत्र समारोह में पीएम मोदी की टोपी की हुई खास चर्चा
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इंडिया गेट पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास तरह की टोपी और गमछा पहना हुआ था। इसके साथ ही, उन्होंने गणतंत्र दिवस के अवसर पर खास अंदाज में तिरंगे को सलामी दी। गणतंत्र दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड की टोपी पहनी हुई थी। इस टोपी पर ब्रह्मकमल छपा हुआ था। इसके साथ ही, उन्होंने मणिपुर का गमछा पहना हुआ था। गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने जिस अंदाज में तिरंगे की सलामी की, वह नौसेना को समर्पित था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना के तीनों अंगों की सलामी के अंदाज अलग-अलग होते हैं। 73वें गणतंत्र दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के दौरान पीएम मोदी ने नौसेना के अंदाज में सलामी दी। नौसेना में सलामी हमेशा दाहिने हाथ के पंजे को थोड़ा आगे की ओर झुकाकर दी जाती है। गणतंत्र दिवस के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों को 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। हमें आज के दिन उन वीर जवानों और शहीदों की शहादत को याद रखना चाहिए, जिसकी वजह से हमें देश की आज़ादी मिली। मैं उन सब को श्रद्धांजली अर्पित करता हूं।
गणतंत्र दिवस के मौके पर बुधवार को यहां राजपथ पर आयोजित मुख्य समारोह के दौरान दुनिया ने भारत के सैन्य शौर्य को देखा। परेड की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद परंपरा के अनुसार राष्ट्रगान के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और 21 तोपों की सलामी दी गई। परेड की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सलामी लेने के साथ हुई। परेड की कमान दूसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी, परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा संभाल रहे थे। वहीं दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल आलोक काकर परेड के सेकेंड-इन-कमांड थे। सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के गौरवान्वित विजेता इन दोनों सैन्य अधिकारियों का अनुसरण कर रहे थे। इनमें परमवीर चक्र और अशोक चक्र के विजेता शामिल हैं।
परेड में तत्कालीन ग्वालियर लांसर्स की वर्दी में पहली टुकड़ी 61 कैवलरी थी, जिसका नेतृत्व मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान कर रहे थे। यह कैवेलरी दुनिया में एकमात्र सक्रिय सेवारत हॉर्स कैवेलरी रेजिमेंट है। इसे 1 अगस्त, 1953 को छह राज्य बलों की घुड़सवार इकाइयों को मिलाकर स्थापित किया गया था। भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व 61 कैवेलरी के माउंटेड कॉलम, 14 मैकेनाइज्ड कॉलम, छह मार्चिंग टुकड़ियों और आर्मी एविएशन के एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टरों (एएलएच) ने किया। एक टैंक पीटी-76 और सेंचुरियन (टैंक वाहक पर) और दो एमबीटी अर्जुन एमके-1, एक एपीसी टोपास और बीएमपी-1 (ऑन टैंक ट्रांसपोटर्र), एक 75/24 टोड गन (वाहन पर) और दो धनुष गन सिस्टम, एक पीएमएस ब्रिज और दो सर्वत्र ब्रिज सिस्टम, एक एचटी-16 (वाहन पर) और दो तरंग शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, एक टाइगर कैट मिसाइल और दो आकाश मिसाइल सिस्टम मैकेनाइज्ड कॉलम में मुख्य आकर्षण रहे। राजपूत रेजिमेंट, असम रेजिमेंट, जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंट, सिख लाइट रेजिमेंट, सैन्य आयुध कोर और पैराशूट रेजिमेंट सहित सेना के कुल छह मार्चिंग दस्ते परेड में शामिल हुए। मद्रास रेजिमेंटल सेंटर का संयुक्त बैंड, कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर, मराठा लाइट रेजिमेंटल सेंटर, जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंटल सेंटर, आर्मी मेडिकल कोर सेंटर और स्कूल, 14 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर, आर्मी सप्लाई कोर सेंटर और कॉलेज, बिहार रेजिमेंटल सेंटर और सेना आयुध वाहिनी केंद्र ने भी सलामी मंच के समक्ष मार्च पास्ट किया। मार्चिंग दस्तों का मूल विषय आजादी के 75 वर्षों में भारतीय सेना की वर्दी और कार्मिकों के हथियारों के क्रमिक विकास का प्रदर्शन करना था। राजपूत रेजीमेंट की टुकड़ी 1947 की भारतीय सेना की वर्दी पहने हुए थे और इसके पास ।303 राइफल थी। असम रेजिमेंट 1962 की अवधि के दौरान पहनी गई वर्दी में थे और उनके पास ।303 राइफलें थीं। जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंट 1971 के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी में थी और 7.62 मिमी सेल्फ लोडिंग राइफल थी। सिख लाइट रेजिमेंट और सेना आयुध कोर की टुकड़ी वर्तमान में 5.56 एमएम इंसास राइफल के साथ वर्दी में थी। पैराशूट रेजिमेंट की टुकड़ी भारतीय सेना की नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म पहनेगी, जिसका अनावरण 15 जनवरी, 2022 को किया गया और इसमें 5.56 एमएम गुणा 45 एमएम टैवोर राइफल थी। भारतीय नौसेना दल में लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा के नेतृत्व में 96 युवा नाविक और चार अधिकारी कंटिजेंट कमांडर के रूप में शामिल थे। इसके बाद नौसेना की झांकी थी, जिसे भारतीय नौसेना की बहु-आयामी क्षमताओं को प्रदर्शित करने और‘आत्मनिर्भर भारत'के तहत प्रमुख कार्यों को उजागर करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। देश भर में चल रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव' को भी झांकी में विशेष स्थान दिया गया था। झांकी के अगले हिस्से में 1946 के नौसेना विद्रोह को दर्शाया गया है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। पिछला भाग 1983 से 2021 तक भारतीय नौसेना की ‘मेक इन इंडिया' पहल को दर्शाता है। स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित युद्धपोतों के मॉडल से हवा में घिरा हुआ एलसीए नौसेना सहित नए विक्रांत का मॉडल दर्शाया गया है। ट्रेलर के किनारों पर लगे फ्रेम भारत में नौसेना प्लेटफार्मों के निर्माण को दर्शाते हैं। वायु सेना की टुकड़ी में 96 वायुसैनिक और चार अधिकारी शामिल थे और इसका नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर प्रशांत स्वामीनाथन ने किया। वायु सेना की झांकी का शीर्षक ‘भारतीय वायु सेना, भविष्य के लिए परिवर्तन' है। झांकी में मिग-21, जी-नेट, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और राफेल विमान के स्केल डाउन मॉडल के साथ-साथ अश्लेषा रडार भी प्रदर्शित किए गए।
- उत्तराखंड की टोपी, मणिपुर के गमछे में नजर आए पीएम मोदी
गणतंत्र दिवस पर पीएएम नरेंद्र मोदी हमेशा खास अंदाज में नजर आते हैं। 73 वें गणतंत्र दिवस पर वे खास टोपी व गमछे में नजर आए। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर उन्होंने शहीदों को नमन किया। यह खास टोपी उत्तराखंड की है तो गमछा मणिपुर का।
प्रतीकों के जरिए सियासी संकेत देने में अग्रणी रहने वाले पीएम मोदी की टोपी पर उत्तराखंड के राज्यपुष्प ब्रह्मकमल भी अंकित था। उत्तराखंड व मणिपुर इन दोनों राज्यों में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पीएम नरेंद्र मोदी की वेशभूषा को इन दोनों राज्यों के लिए संकेत के तौर पर माना जा रहा है।
मजदूरों को विशिष्ट अतिथि का दर्जा:
73 वें गणतंत्र दिवस की परेड खास है, क्योंकि इसमें कोरोना वॉरियर्स, सेंट्रल विस्टा के निर्माण में लगे मजदूरों को विशिष्ट अतिथि का दर्जा दिया गया है। परेड में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकी प्रदर्शित की गई। इसके अलावा केंद्र सरकार के नौ मंत्रालयों की झांकी भी राजपथ पर नजर आईं।