नई दिल्ली ।   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसी सुरक्षा दी जाएगी। केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा को और मजबूत कर दिया। गृह मंत्रालय कई जगहों पर मोहन भागवत की सुरक्षा में ढिलाई देखी, जिसके बाद ही मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा को और मजबूत करने का फैसला लिया। उनकी सुरक्षा को जेड प्लस से बढ़ाकर एएसएल में तब्दील कर दिया गया है। एएसएल सुरक्षा किस तरह से काम करती है और यह किन लोगों को दी जाती है, इसके बारे में यहां जानेंगे। 

क्या है एएसएल सुरक्षा?

एएसएल एक बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा है। इस श्रेणी की सुरक्षा में संबंधित जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य और अन्य विभाग जैसी स्थानीय एजेंसियां शामिल होती हैं। अब जिस स्थान पर मोहन भागवत कार्यक्रम के लिए जाएंगे, वहां पहले एक टीम निरीक्षण करने जाएगी। टीम के ग्रीन सिग्नल देने के बाद ही मोहन भागवत उस कार्यक्रम में शामिल होने जाएंगे। आसान शब्दों में कहा जाए को नी सुरक्षा श्रेणी के अनुसार, सीआईएसएफ की टीम उस स्थान पर पहले से ही मौजूद रहेंगी, जहां मोहन भागवत दौरा करेंगे। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के शीर्ष पद पर बैठे नेता और उनके परिजनों की सुरक्षा के लिए एसपीजी की स्थापना की गई। यह एक विशिष्ठ सुरक्षा व्यवस्था है। इसके तहत देश के प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजनों को सुरक्षा दी जाती है।

कई भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर मोहन भागवत

मोहन भागवत को  जून 2015 में जेड-प्लस की सुरक्षा दी गई थी। इससे पहले कांग्रेस सरकार ने भी उन्हें जेड-प्लस सुरक्षा कवर देने का आदेश दिया था। हालांकि, उस समय केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने कर्मियों और वाहनों की कमी के कारण उन्हें जेड-प्लस सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई थी। जेड-प्लस सुरक्षा में 36 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जिसमें एनएसजी के भी 10 कमांडो होते हैं। अब मोहन भागवत की सुरक्षा को जेड-प्लस से बढ़ाकर एएसएल में बदल दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई भारत विरोध संगठनों के निशाने पर मोहन भागवत हैं, जिसके बाद ही गृह मंत्रालय ने उन्हें एएसएल सुरक्षा देने का फैसला किया। उनकी सुरक्षा बढ़ाने जाने को लेकर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसकी जानकारी दी गई है।