मध्यप्रदेश स्थापन दिवस का दिन प्रदेश के लिए बहुत बड़ी सौगात लेकर आया है। ग्वालियर चंबल यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क में शामिल हो गया है। वैश्विक संस्था यूनेस्को ने ग्वालियर को ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ के रूप में मान्यता प्रदान की है। इस उपलब्धि पर ग्वालियर सहित प्रदेश के संगीत प्रेमियों में उत्साह है। स्थापना दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश के नाम एक और उपलब्धि जुड़ने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे गौरव भरा पल बताया है। उन्होंने सुबह ट्वीट किया, ’मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश खासकर ग्वालियरवासियों के लिए एक गौरव भरा ऐतिहासिक पल’। 

मुख्यमंत्री ने दी बधाई 

यूनेस्को से मिली इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मध्यप्रदेश के लिए आनंद एवं गौरव का अवसर... आपको यह बताते हुए मुझे हर्ष के साथ गर्व हो रहा है कि यूनेस्को ने हमारे संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली ग्वालियर को “सिटी ऑफ म्यूजिक” की मान्यता दी है। 
ग्वालियर तथा प्रदेश को मिला यह सम्मान हमारी सांस्कृतिक विरासत एवं प्राचीन कला जगत का सम्मान है। मध्यप्रदेश की समस्त जनता को हृदय से शुभकामनाएं। गौरतलब है कि ग्वालियर को मिलने वाले इस तमगे के बाद विश्वपटल पर मध्यप्रदेश की एक नई पहचान स्थापित होगी और विकास व रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। 


संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली ग्वालियर 

ग्वालियर को भारतीय संगीत के महत्वपूर्ण केन्द्रों में से एक माना जाता है। यह तानसेन की संगीत भक्ति का स्थान है और ‘ध्रुपद’ का भी जन्म स्थान है। तानसेन ही ध्रुपद के जनक रहे हैं। ग्वालियर के राजा मानसिंह ने ही ध्रुप धमार की रचना भी की थी। इसके साथ ही शहर ने कई बड़े संगीतज्ञ भी दिए हैं। सुर सम्राट तानसेन की जन्म-स्थली बेहट में हर साल तानसेन समारोह होता है। यह सभा बेहट में भगवान भोले के मंदिर के नीचे और झिलमिल नदी किनारे घनी एवं मनोरम अमराई के बीच सजती है। यह वही जगह है, जहां सुर सम्राट का बचपन संगीत साधना और बकरियां चराते हुए बीता था। लोक धारणा है कि तानसेन की तान से ही निर्जन में बना भगवान शिव का मंदिर तिरछा हो गया था। यह भी किंवदंति है कि 10 वर्षीय बेजुबान बालक तन्ना उर्फ तनसुख भगवान भोले का वरदान पाकर संगीत सम्राट तानसेन बन गया।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयासों का सुखद परिणाम

इस उपलब्धि को जानकार सिंधिया घराने और ख़ासकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के लगातार उठाए गए कदमों से जोड़ कर देख रहे हैं। सिंधिया ने खुद इसके लिए जून महीने में यूनेस्को को पत्र भी लिखा था। पत्र में सिंधिया ने ग्वालियर के महान सांस्कृतिक, सांगीतिक इतिहास व विरासत के बारे में बताया था। सिंधिया परिवार ग्वालियर घराने के संगीत व कलाकारों को संरक्षित करने के लिए हमेशा तत्पर रहा है। सिंधिया के प्रयासों का परिणाम है कि ग्वालियर चंबल यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (यूसीसीएन) में शामिल हो गया है। ग्वालियर ने ‘संगीत’ श्रेणी में इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाई  है जिसकी घोषणा यूनेस्को ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी की है।