भोपाल । आज नाम वापसी का आखिरी दिन है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस के कई बागी नेता चुनावी मैदान में जुटे हुए हैं। हालांकि इन बागी नेताओं को मनाने के लिए दोनों पार्टियों के दिग्गजों ने पूरा दम लगा रखा है। गुरूवार शाम को तस्वीर साफ हो जाएगी की किन-किन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बागी नेता पार्टी का खेल बिगाड़ेंगे। दरअसल, दोनों पार्टियों को अपने-अपने बागियों से खेल बिगडऩे का डर है। टिकट नहीं मिलने पर दर्जा प्राप्त मंत्री से लेकर, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक तक पार्टी से बगावत कर निर्दलीय या फिर किसी दूसरे दल से नामांकन कर चुके हैं।
कांग्रेस और भाजपा के पास सिर्फ गुरूवार का दिन बचा है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों की कोशिश है कि बचे हुए दो दिनों में नाराज नेताओं को मनाकर फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश की जाए।


भाजपा के प्रमुख बागी
इस चुनाव में भाजपा के लिए कई बागी परेशानी का सबब बने हुए हैं।  बुरहानपुर विधानसभा सीट पर हर्षवर्धन चौहान (पूर्व सांसद स्व. नंदकुमार चौहान के बेटे)डटे हैं। वहीं निवाड़ी विधानसभा सीट पर नंदराम कुशवाहा (मप्र कुक्कुट विकास निगम के उपाध्यक्ष- दर्जा प्राप्त मंत्री), टीकमगढ़ से केके श्रीवास्तव (पूर्व विधायक), आलोट(रतलाम)विधानसभा सीट पर रमेश मालवीय (पूर्व मंडल अध्यक्ष)डटे हुए हैं। वहीं बड़वारा (कटनी) से मोती कश्यप (पूर्व मंत्री)सपा प्रत्याशी बन गए हैं। मुरैना विधानसभा सीट पर राकेश सिंह (पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे) बसपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। मनगवां (रीवा)विधानसभा सीट पर पूर्व प्रत्याशी पंचूलाल की पत्नी भी चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा की सबसे अधिक टेंशन जिन्होंने बढ़ाई है उमें निवाड़ी सीट पर भाजपाके पूर्व जिलाध्यक्ष कमलेश्वर देवलिया भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। देवलिया भाजपा के पुराने नेता हैं। मुरैना में पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह भी भाजपा छोडक़र बसपा में शामिल हो चुके हैं। बेटे राकेश बसपा से प्रत्याशी हैं। रुस्तम सिंह भाजपा में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रहे। 10 दिन पहले उन्होंने बसपा जॉइन कर ली। रुस्तम सिंह भाजपा में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रहे।


कांग्रेस के प्रमुख बागी
भाजपा की तरह कांग्रेस में भी बागियों की भरमार है। कांग्रेस में भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर आमिर अकील (विधायक आरिफ अकील के भाई)डटे हैं। वहीं हुजूर (भोपाल)जितेंद्र डागा (पूर्व विधायक), गोटेगांव (नरसिंहपुर) से शेखर चौधरी (पूर्व विधायक), बरगी (जबलपुर) से जयकांत सिंह (पूर्व विधायक सोबरन सिंह के बेटे), बडऩगर (उज्जैन) से राजेंद्र सिंह सोलंकी (जिला पंचायत सदस्य)डटे हैं। वहीं सिहोरा (जबलपुर)से कौशल्या गोटिया (पूर्व मंत्री), आलोट (रतलाम) से प्रेमचंद गुड्डू (पूर्व सांसद)भी मैदान में हैं। वहीं भोपाल उत्तर से कांग्रेस के बागी नासिर इस्लाम और मोहम्मद शफीक भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। सिहोरा (जबलपुर) से पूर्व जिला पंचायत सदस्य जमुना मरावी ने भी बगावत की है।


मान गए नाराज कमलेश
विधानसभा चुनाव में टिकट ना मिलने को लेकर भारतीय जनता पार्टी में किस कदर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, इसका इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आना पड़ रहा है। जबलपुर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल जिन्होंने जनता की आवाज बनकर उत्तर-मध्य विधानसभा से चुनाव लडऩे का ऐलान किया था, अब चुनाव नहीं लड़ेगें। सीएम शिवराज सिंह चौहान के कहने पर कमलेश अग्रवाल ने बुधवार को अपना नाम वापस ले लिया है। बता दें कि कमलेश अग्रवाल ने उत्तर-मध्य विधानसभा से टिकट मांगी थी, पर पार्टी ने अभिलाष पांडे को चुनाव मैदान में उतार दिया था, जिससे कि कमलेश अग्रवाल नाराज हो गए थे। डिंडौरी-सिवनी दौरे पर जाने से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान डुमना एयरपोर्ट पहुंचे। बताया जा रहा है कि जैसे ही बुधवार की सुबह सीएम का दौरे बने, उसमें कमलेश अग्रवाल से भी मिलने का प्लान था। सीएम ने जबलपुर आने से पहले कमलेश अग्रवाल से फोन पर बात की और मिलने बुलाया। कमलेश अग्रवाल समाज के लोगों को लेकर एयऱपोर्ट पुहंचे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा के निर्देश को मानते हुए फार्म भरा था, जिसे कि अब वो वापस ले रहें है। मै इसलिए भी आया था कि उनका मान सम्मान सुनिश्चत करेंगे। कमलेश अग्रवाल अब अपने साथियों के साथ मिलकर भाजपा को जिताने का काम करेंगे। नाराज भाजपा नेता अग्रवाल के कंधे पर हाथ रखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये मेरे प्रिय है,और इसलिए मैं उनसे मिलने स्वयं आया हूं।