मध्यप्रदेश में कृषि बनी विकास की धुरी
मध्यप्रदेश के विकास में कृषि की भूमिका को न तो नकारा जा सकता है और न कम आंका जा सकता है। टिकाऊ आजीविका के लिए यहां लोगों ने बड़े पैमाने पर टमाटर, लहसुन, संतरा, दालें और सोयाबीन की खेती पर प्रयोग किए गए, जिसने आजीविका सुधार के साथ ही राज्य के समग्र विकास में भी योगदान दिया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश की जनता को लिखे पत्र में राज्य के विकास के लिए कारक प्रमुख क्षेत्रों में कृषि को भी शामिल किया।
नीति आयोग द्वारा जारी किए गए गरीबी के आंकड़े एमपीआई (मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स ) में मध्यप्रदेश के इंडेक्स में काफी सुधार देखा गया। बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से बाहर आए और आजीविका को बेहतर करने में कृषि एक अहम माध्यम के रूप में सामने आया। मध्यप्रदेश देश में सबसे मजबूत खाद्य प्रधान कटोरे (फूड बॉउल ऑफ इंडिया) में से है। यह गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (यूपी के बाद) है और यूपी और राजस्थान के बाद तीसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है। बेहतर सिंचाई सुविधाओं ने मध्य प्रदेश में किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने में मदद की है। इस रणनीतिक बदलाव से मानसून पर उनकी निर्भरता कम हुई और परिणामस्वरूप किसानों की आय में वृद्धि हुई। 2011-12 से 2021-22 के दौरान मध्य प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (राज्य में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य) में प्रतिवर्ष औसतन 6.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो कि गुजरात (8.35%), कर्नाटक (7.33%) और हरियाणा (6.7%) के बाद विकास की चौथी उच्चतम दर है। राज्य की कृषि जीडीपी वृद्धि औसत 7.3 प्रतिशत रही, जो कि विकास इंजन के रूप में कृषि क्षेत्र के महत्व को दर्शाती है। इस अवधि के दौरान राज्य की जीडीपी में 7.5 प्रतिशत की औसत वृद्धि देखी गई।
यह सब ऐसे समय में हुआ है जब कई मायनों में मध्य प्रदेश डबल इंजन सरकार मॉडल का एक शक्तिशाली उदाहरण बना हुआ है, जहां राज्य और केंद्र सरकार के बीच बेहतर सामंजस्य से, सरकार के दोनों स्तरों से संसाधनों और विशेषज्ञता का भरपूर प्रयोग किया जा सका। राज्य का बजट आकार, जो 2003 में 21,648 करोड़ रुपये था, 2013-14 में वह बढ़कर 85,760 करोड़ रुपये हो गया। राज्य के बजट का आकार अब 3.06 लाख करोड़ रुपये है, जो दस वर्षों में 3.5 गुना से अधिक है। 19 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के लोगों को लिखे पत्र में विभिन्न क्षेत्रों में राज्य की उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि मध्यप्रदेश देश की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था वाले राज्यों में शामिल होने की राह पर है। निश्चित रूप से मध्य प्रदेश, डबल-इंजन शासन मॉडल पर चलते हुए, अगले पांच वर्षों में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए तैयार है।