नई दिल्ली। बात अगर मिठाइयों की करें, तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो रसमलाई का नाम न ले। मुलायम, स्पंजी और दूध में डूबी रसमलाई का स्वाद पूरे देश में मशहूर है। इसका अनोखा स्वाद हर मौके को खास बना देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे सबसे पहले किसने बनाया था। इसके पीछे बेहद दिलचस्प कहानी है। वैसे इसका नाम भी काफी दिलचस्प है। अगर आप इसके नाम पर गौर करेंगे, तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है"रस" (रसीला) और "मलाई" (मलाईदार), जो इसकी बनावट और स्वाद को पूरी तरह से दर्शाता है। आइए जानते हैं रसमलाई का इतिहास और कैसे बनाई इसने लोगों के दिल में अपनी खास जगह।

रसमलाई को पहली बार कहां बनाई गई?

रसमलाई को पहली बार किसने बनाया इसे लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि रसमलाई का जन्म बांग्लादेश के कोमिला में हुआ था। तब यह भारत का ही हिस्सा हुआ करता था। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि पहली बार रसमलाई कोलकाता में बनाई गई थी।

कोलकाता में बनी थी?

माना जाता है कि 19वीं शताब्दी में बंगाल के मशहूर मिठाई विक्रेता के.सी. दास ने इस मिठाई को बनाया था। उनकी दुकान पर पहले "रसगुल्ले" बनाए जाते थे, जो चाशनी में डूबे हुए होते थे। कहा जाता है कि किसी ने इन रसगुल्लों को दूध में डालकर ठंडा करके खाया, जिससे रसमलाई का जन्म हुआ। इसके पीछे ऐसी भी कहानी है कि रसमलाई को एक एक्सपेरिमेंट के रूप में बनाया गया था। दरअसल, के.सी. दास के पोते ओसमोसिस प्रोसेस के बारे में पढ़ रहे थे और इसे टेस्ट करने के लिए उन्होंने सबसे पहले डिब्बाबंद रसगुल्ले बनाए। इसी प्रयोग को आगे बढ़ाते समय रसमलाई का आविष्कार हुआ। इसके बाद वहां रहने वाली मारवाड़ी समुदाय ने रसमलाई को मशहूर बनाया।

कोमिला में बनाई गई थी पहली बार?

एक दूसरी कहानी है कि बांग्लादेश के कोमिला के सेन बंधुओ के परिवार ने रसमलाई को बनाया था। इसे शुरुआत में खीर भोग कहा जाता था, यानी दूध से बनी मिठाई। बाद में इसका नाम बदलकर रसमलाई कर दिया गया।

रसमलाई बनाने की विधि

रसमलाई बनाने की प्रक्रिया काफी दिलचस्प है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले ताजे छेना को गूंथकर छोटे गोले बनाए जाते हैं। इन गोलों को चाशनी में पकाया जाता है। फिर इन्हें केशर, इलायची और चीनी मिलाएं हुए गाढ़े दूध में डुबोया जाता है। इसके बाद ऊपर से पिस्ता या बादाम से गार्निश करते हैं।