बैतूल जिले में बीती 18 जुलाई से स्वास्थ विभाग द्वारा दस्तंक अभियान चलाया जा रहा है। जिसकी मॉनिटरिंग की बागडोर खुद जिला कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस ने संभाल रखी है कलेक्टर इस अभियान को लेकर कितनी गंभीरता से मॉनिटरिंग कर रहे है इसका ताजा उधारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेहरा के अंतर्गत आने वाले ग्राम गेहूरास में देखने को मिला जहां कलेक्टर ने जब स्वास्थ्य अमले को एक ग्रामीण महिला के घर बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद महिला को उसके बच्चे को स्वस्थ और निरोगी रखने के लिए दिए जाने वाले पौष्टिक आहार की जानकारी देते हुए देखा तो कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस अपने आप को रोक नही पाये और खुद ग्रामीण महिला के घर की डिहरी पर जाकर बैठ गये और ग्रामीण महिलाओं को स्वयं समझाने लगे कलेक्टर ने ग्रामीण महिला को कहा कि जो पोषण आहार आपको मिलेगा वो बच्चे के लिए ही है उसे बच्चे को ही खिलायेगा जिसहे बच्चे का वजन बढेगा और वो तंदरुस्त होगा जायेगा अगर वो रोजाना पौष्टिक आहार अपने बच्चे को खिलाती है और समय समय पर रोग निरोधी टिके लगवाकर विटामिन A की दवा पिलायेगी तो उनका बच्चा हमेशा तंदरुस्त ओर निरोगी रहेगा। कलेक्टर ने महिला से पूछा कि बच्चे को लेकर बुखार आना दस्त लगना सर्दी जुखाम बार बार होना जैसी को परेशानी तो नही है। कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस ने जिस तरह ग्रामीण महिला को उसके सामने बैठ कर समझाइस दी वो वाकिये में काबिले तारीफ है। कलेक्टर द्वारा की गई इस मॉनिटरिंग के द्वराण सेहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ उदय सिंह तोमर,बीपीएम एकनाथ ठाकुर,बीसीएम प्रकाश माकोड़े,सुपर वाइजर किरण अहिरवार,सीएचओ लक्ष्मी रघुवंसी, एएनएम ममता टेकाम उपस्थित रही।

ज्ञात हो की स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे दस्तंक अभियान को लेकर कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस हर दिन जिले के अलग अलग ब्लाकों के ग्राम में जाकर स्वास्थ्य कर्मियों के किये जा रहे कार्य की मॉनिटरिंग कर रहे ।इस अभियान में मुख्य रूप से स्वास्थ विभाग की CHO,ANM व आशा कार्यकर्ता द्वारा किया जा रहा है इस अभियान के तहत पांच वर्ष की उम्र तक के बच्चों को होने वाली मुख्य बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान कर उसके उपचार की व्यवस्था की जाती है। इसका उद्देश्य बाल मृत्यु दर में कमी लाना है। दस्तक अभियान के तहत बीमार नवजात और बच्चों की पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल, शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल, गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन, छह माह से पांच वर्ष की उम्र के बच्चों के गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, बाल्यकालीन दस्त रोग नियंत्रण हेतु ओआरएस एवं जिंक उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता एवं प्रत्येक घर में ओआरएस पहुंचाया जाता है ।

इसके अलावा 9 माह से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों को विटामिन ए,की दवा पिलाना बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान, समुचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति संबंधी समझाइश आम जन को देना, एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फालोअप को प्रोत्साहन, टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना आदि गतिविधियां संचालित की जाएंगी। दस्तक अभियान के दौरान किए जाने वाले समस्त गतिविधियों के दौरान कोविड-19 सुरक्षा नियमों का पालन किया जा रहा है।