अनिश्चित कालीन हड़ताल की राह पर 26 हजार सविदा स्वास्थ्य कर्मी।
भोपाल 28 अप्रैल ।। मध्यप्रदेश में कार्यरत सविदा स्वास्थ्य कर्मी बिते चार वर्षों से 90 प्रतिशत वेतनमान दिए जाने और नियमितीकरण करने की मांग को लेकर लगातार ज्ञापन,आवेदन, निवेदन,धरना प्रदर्शन व हड़ताल करके अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए प्रदेश सरकार से गुहार लगा रहे है। लेकिन आज दिनांक तक किसी भी तरह की सफलता इनके हाथ नही लगी है।कहने को तो प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कर्मचारी हितेषी कहलाते है। उनोहने खुद अपने एक अभिभाषण में सविदा की बेड़ियों से कर्मचारियों को मुक्त करवाने की बात कही थी लेकिन सविदा स्वास्थ्य कर्मियों से इतनी बेरुखी क्यों ये समझ के परे है।
सविदा स्वास्थ्य संगठन के पदाधिकारियो की मॉने तो बिते चार वर्षों में सविदा स्वास्थ्य संगठन ने प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश सरकार के हर विभाग के मंत्री यहां तक की सत्ताधारी और विपक्ष के स्थानीय नेता से लेकर प्रदेश स्तरीय नेताओ विधायको को दर्जनों बार आवेदन व ज्ञापन देकर गुहार लगाई जिला सविदा स्वास्थ संगठन के सदस्यों ने प्रदेश के हर जिले में वहां पहुचने वाले प्रदेश सरकार के मंत्री व स्वास्थ्य के वरिष्ठ अधिकारियों को भी आवेदन व ज्ञापन देकर सविदा स्वास्थ्य कर्मियों की मांगें पूरी करने के लिए कहा लेकिन उन्हें आजतक सिर्फ आस्वासन के अलावा कुछ नही मिला।
संगठन के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारीयो ने हर महीने स्वास्थ्य मंत्रालय व NHM कार्यालय में पहुचकर उनकी मांगों को पूरा किये जाने की प्रक्रिया के विषय मे जानकारी ले रहे है लेकिन यहां भी सिर्फ उन्ह गुमराह किया जा रहा है। किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने आज तक ये नही बतलाया की आखिर कब उनकी जायज मांगो को पूरा किया जायेगा।
बताया जा रहा है की सविदा की 5 जून 2018 की नीति को लेकर प्रदेश सरकार के कुछ विभागों में वहां कार्यरत सविदा कर्मचारियों को 90 प्रतिशत वेतनमान का लाभ देना शुरू कर दिया है और कुछ विभागों ने रिक्त पदों पर सविदा कर्मचारियों का संविलियन भी कर दिया है।
सविदा स्वास्थ कर्मियों का कहना है की कोरोना जैसी भीषण वैश्विक महामारी में अपनी जान की परवाह किये बिना उनोहने कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया जिनके कोरोना संक्रमित होने का पता चलते ही उनके परिजन जब उनका साथ छोड़कर दूर चले गए थे। सविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर पूरे प्रदेश के हर शहर हर गाव गली कुचों में लगातार स्वास्थ सेवा देकर प्रदेश को कोरोना संकट से मुक्त करवाने के साथ साथ कोविड वेक्सशीनेशन जैसे महाअभियान में देर रात तक अपना फर्ज निभाते हुए कार्य किया और प्रदेश का नाम शीर्ष पर पहुचाया।
इन कोरोना योद्धाओं को उम्मीद थी की शायद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपना वादा निभाएंगे और सभी सविदा स्वास्थ कर्मियों को सविदा की जंजीरों से मुक्त करवाएंगे लेकिन ऐसा हो नाही पाया।
अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए लगातार गुहार लगा रहे सविदा स्वास्थ कर्मियों में आक्रोश पनपने लगा है।
संगठनों के पदाधिकारियों अब एक जन आंदोलन की ओर बढ़ने की बात कह रहे है। उनोहने अपने इस आन्दोलन मे आम जान से भी सहयोग करने की अपील की है ।संगठन के पदाधिकारियो का मानना है की उनोहने कोरोना काल मे जिन मरीजों की जान लगाकर सेवा की है वो मरीज ओर उनके परिजनों का उन्हें भरपूर सहयोग मिलेगा।
सविदा स्वास्थ संगठन के पदाधिकारी अपने अनिश्चित कालीन आंदोलन की शुरुवात 1 मई से करने जा रहे है। जिसके लिए उनोहने विभाग को पहले ही सूचना पत्र दे दिया है।
सविदा स्वास्थ संगठन के पदाधिकारी की मॉने तो अब वे शाम दाम दंड भेद सब तरह की नीति अपनाएंगे और उनका हर एक सविदा स्वास्थ कर्मी खुद लीडरशिप करेगा सूत्रों से पता चला है की ये सविदा स्वास्थ कर्मी शोसल मीडिया जिसमे फेशबुक,व्हाट्सअप, टिवटर,इंस्ट्राग्राम जैसे कई ऐसे प्लेटफार्म है जिन पर रोजान हजारों की संख्या में कोरोना काल में किये गए अपने किये कार्यो का व्रतांत और उससे संबंधित फ़ोटो ग्राफ शेयर करेंगे जिससे आम जन को उनके किये कार्यो का पता चल सके। साथ ही अधिकारियों व मंत्रियों द्वारा अब तक जो भी आश्वाशन के आदेश उन्हें दिए है उन सभी को सार्वजनिक कर आम जन को बतलायेंगे की सरकार उनके कोरोना काल मे जान पर खेल कर किये गए कार्यो का शिला उन्ह किस तरह गुमराह करके अल्प वेतन में कार्य करने के लिए मजबूर कर रही है।
सविदा स्वास्थ कर्मियों का ये जन आंदोलन प्लान कही ना कही आने वाले चुनाव में सत्ता धारी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।अब इससे सरकार निपटने के किये कौन सी नीति अपनाती है ये वो वही तय करेंगी लेकिन एक बात तो स्पष्ट है की आने वाले विधान सभा चुनाव में जीत हार पर इन सविदा सवास्थ्य कर्मियों के आंदोलन का गहरा प्रभाव पड़ सकता है।