बैतूल मीडिया सेंटर पर श्रद्धाजंलि , रक्तदान के बाद पुस्तक विमोचन कार्यक्रम
बैतूल। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के नामचीन लेखक, साहित्यकार, कहानीकार, सत्यकथा लेखक रामकिशोर दयाराम पंवार रोंढ़ावाला की पांचवी पुस्तक मेरे बाबू जी पुस्तक का आज मंगलवार 18 अक्टूबर को जिला मुख्यालय बैतूल स्थित मीडिया सेंटर में होने जा रहा है। लेखक के पिता स्वर्गीय दयाराम पंवार की दुसरी पुण्यतीथी पर आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में दोपहर 12 बजे श्रद्धाजंलि, रक्तदान के बाद पुस्तक विमोचन कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम में ग्वालियर से श्री मनोज कुमार सिंह संपादक एवं संस्थापक बी एम पी पब्लिशर बतौर मुख्य अतिथी के रूप में पधार रहे है। स्वर्गीय दयाराम पंवार के साथ वन विभाग में कार्यरत रहे श्री रामचरण साहू सेवानिवृत वनपाल एवं संभागीय / जिलाध्यक्ष पेशनर एशोसिएशन मध्यप्रदेश अतिथी, अलावा जिले के वरिष्ठ पत्रकार प्रबुद्ध नागरिक एवं उनके परिजन उपस्थित रहेगें।
बैतूल जिले के ग्राम रोंढ़ा में जन्मे 58 वर्षिय लेखक रामकिशोर दयाराम पंवार रोंढ़ावाला बैतूल जिले के वरिष्ठ पत्रकार है। मध्यप्रदेश - विदर्भ सहित देश - प्रदेश के अनेक समाचार पत्रो के अधिकृत संवाददाता रह चुके है। स्वंतत्र पत्रकार एवं हरफन मौला लेखक - कहानीकार - स्तंभ लेखक - सत्यकथा लेखक रामकिशोर पंवार बीए फेल होने के साथ - साथ एक दशक पूर्व एक दुर्घटना में नि:शक्तहो चुके है। लगभग चार दशक से पत्रकारिता एवं लेखन से जुड़े रामकिशोर दयाराम पंवार रोंढावाला दैनिक पंजाब केसरी दिल्ली से वर्ष 2004 से जिला ब्यूरो है। मध्यप्रदेश शासन से अधिमान्य पत्रकार , लेखक , कहानीकार , सत्यकथाओ के लेखक रामकिशोर दयाराम पंवार भोपाल से एक हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र ताप्ती हलचल का वर्ष 2013 से प्रकाशन कर रहे है साथ ही जिला मुख्यालय बैतूल से दैनिक समाचार पत्र तापी दर्शन का प्रकाशन एवं संपादन कर रहे है। भोपाली मेला छोटा महादेव की गुफाओ से निकलने वाली पुण्य सलिला देनवा नदी से नदी बचाओ आन्दोलन की शुरूआत करने वाले रामकिशोर पंवार वर्तमान में पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती की सेवा कार्य से जुड़़े है तथा मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति मध्यप्रदेश के अध्यक्ष है। ताप्ती महीमा को लेकर जन जागृति अभियान के सूत्रधार रामकिशोर पंवार बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति के जिला संयोजक भी है।
किताब के बारे में -
बेतूल जिले के ग्राम रोंढ़ा में जन्मे रामकिशोर दयाराम पवंार की यह पाचंवी किताब है जो उनके देश - प्रदेश के अनेक समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओं में अब तक प्रकाशित 19 कहानियों एवं सत्यकथाओं का संग्रह है। श्री पंवार की इन प्रकाशित कहानियों में पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती नदी पर बने चंदोरा बांध को लेकर प्रकाशित एक सत्यकथा मुझे मत रोको एवं ताप्तीचंल की माटी पर लिखी कहानी वह सुबह कभी तो आएगी, पुण्य सलिला मां नर्मदा पर लिखी गई एक कहानी भर आया आंचल, बेल नदी के किनारे बसे ग्राम मोरखा के घनघौरी बाबा पर लिखी सत्यकथा बाबा कहा गया गया, भारत श्रीलंका को जोडऩे वाले रेलमार्ग के बह जाने की एतिहासिक घटना पर लिखी गई सत्यकथा बह गए हमारे अपने, खेड़ला किले में पारस पत्थर खोजने गए लोगो की आपबीती पर लिखी गई सत्यकथा पारस पत्थर की खोज में , बैतूल के एक कलेक्टर के शिकार से जुड़ी सत्यकथा भागो - भागो शेर आया, मलाजपुर के गुरू साहब बाबा को समर्पित सत्यकथा भूतो का मेला, रहस्य रोमांचक सत्यकथा अला - बला एवं कटे हाथ वाला, शादी का निमंत्रण, कबर बिज्जू , सात बहने, के अलावा लगभग 300 साल पुराने ग्राम रोंढ़ा के चम्पा के पेड़ से जुड़ी एक कहानी चम्पा का फूल को भी इस पुस्तक में स्थान मिला है। लेखक रामकिशोर दयाराम पंवार रोंढ़ावाला की किताब काला गुलाब पड़ौसी छिन्दवाड़ा जिले की एक प्रेम कहानी पर लिखी सत्यकथा है। मोनिका प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई है। उनकी इस पांचवी किताब मेरे बाबू जी में उन्होने अपने दिवंगत पिता श्री दयाराम पंवार को लेकर लिखी है। पिता की स्मृति को एक किताब के रूप में सहेज कर रखने की उनकी यह कोशिस लोगो के लिए प्रेरणा दायक होगी। पिता - पुत्र - परिवार - गांव और वह जगह जहां पर सेवाकाल बीता उन सब यादो को किताब के पन्नो में सजीव चित्रण का नाम है मेरे बाबू जी....